रुआंसी आँखों से अकेलेपन और वीरानियों को मेरा शुक्रिया
दुनिया ने न सही पर कमसकम तुमने तो मेरा साथ दिया
प्यार , ख़ुशी , दोस्ती , अपने , सुकून तो क्या कहिये
मुझे हंसी तक की नहीं चाहत,मैंने तो अश्कों को गले लगा लिया
काली अकेली लम्बी रातें देती हैं सच्चा साथ मेरा और
खबरदार हैं मेरे होठ , जो इन्होने उजेरे का ज़िक्र किया
ईमारत की सर्बुलंदियों में नहीं , मुझको तो नीव में मज़ा अता है
उचाईयों से तो कसम खुदा की दिल मेरा बड़ा घबराता है
अच्छी चीज के दाम हैं ज्यादा , उनको खरीदना मुझसे न बन पाता है
गम, और आंसू जितने थे पैसे , उन्ही में गुज़ारा हो जाता है
प्यार ,मेहेफिलों , दोस्ती , की होती देखि मैंने बिक्रीया
रुआंसी आँखों से अकेलेपन और वीरानियों को मेरा शुक्रिया
सच्ची, सुंदर तथा सार्थक प्रस्तुति - शुभकामनाएं एवं आशीष
जवाब देंहटाएंआपको मेरा हार्दिक धन्यवाद :)
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