जब ह्रदय में भावनाओं का भंवर बनता है , एक ऐसा भंवर जिसे आप किसी के साथ बतला कर भी शांत नहीं कर सकते , वो भंवर अत्यंत रौद्र रूप को धारण करलेने पर एक रचना का मोती मुझे देता है , उन्ही मोतियों का एक छोटा सा आभूषण है ये ब्लॉग
शनिवार, 8 जनवरी 2011
जहां तक नज़र जाती है वहाँ तक वीरानियाँ है जहाँ भी कदम रखो शिकश्तों की निशानियाँ हैं सबको अपना मान लिया जो मुस्कुरा के बोला पैसे शोहरत ख़ूबसूरती के तराजू में मुझको तोला रुलाती हैं हरदम जो वो दिल की नादानियां हैं जहां तक नजर जाती है वहाँ तक वीरानियाँ है
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