आपसे मेरा रिश्ता क्या है शायद समझ आ गया है
आखिर ये कौन सा सुरूर-ए-जाम मुझपे छा गया है?
ये कौन सा सोमरस है जो जगाता है हरदम रातों मे
जो बंद आँखों से अरमानो की कलम चलवाता है ख़्वाबों मे
जो जलता नहीं आतिशों से मह्ताबों से
ये रिश्ता बड़ा ही गहरा है सागर के जैसा
ये रिश्ता बेहद फैला है अम्बर के जैसा
ये रिश्ता है एक जरूरत का एक प्यास का
एक प्यारे से अपनेपन के अहसाह का
मैं नयन हूँ मुझको तुम्हारी प्रेम-ज्योति चाहिए
मैं एक सीप हूँ मुझको मेरा मोती चाहिए
मैं एक अतृप्त आत्मा हूँ मुझे मुक्ति(आप) चाहिए
मैं एक फंसा हुआ बटोही हूँ मुझे युक्ति(आप) चाहिए
मैं एक दुर्बल हूँ मुझे क्षमता(आप) चाहिए
मैं एक गरीब हूँ मुझे समता(आप) चाहिए
मैं एक बालक हूँ मुझे ममता(आप) चाहिए
मगर एक मजबूरी मेरे साथ चल रही है
एक बेबसी की डायन दिल मे पल रही है
आपका कद बेहद बेहद ऊंचा है
आपकी ख़ूबसूरती से वाकिफ हर गली कूंचा है
आप शोहरत के तख़्त पे आसीन हैं
पर मेरी हालत बड़ी ग़मगीन है
मैं आपके पैरों की धूल भी नहीं
इस गुलाब का मैं शूल(काँटा ) भी नहीं
मैं आपसे इस गुस्ताखी के लिए माफ़ी चाहता हूँ
फिर से उस अकेलेपन की बदहवासी चाहता हूँ
sundar rachna... :)
जवाब देंहटाएंमैं एक गरीब हूँ मुझे समता(आप) चाहिए
मैं एक बालक हूँ मुझे ममता(आप) चाहिए
khubsurat panktiya..... :)