
लिखी अब तक मैंने कई शायरी और कई तराने
पर हाजिर हुआ हूँ ,तेरी आँखों की कहानी सुनाने
आँखें तेरी मैखाना है ,और मैखाने में पसरा सुरूर है
इन दो जामों की मशहूरिअत फैलीअब तो दूर दूर है
इन शरारती आँखों का छाया हर दिल पे फितूर है
और हर वक़्त इन में खोये रहने को ये बंदा मजबूर है
अदा हया मासूमीअत मोहब्बत सुकून खुमारी
इन रंगों से सजी है तेरी आँखों की पच्चीकारी
अब और मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता
चढ़ती ही जा रही है मुझपर बेकरारी
चाहता हूँ इज़ाज़त तुमसे निहारने को इन्हें उम्र सारी
तेरी आँखे सब से जुदा हैं माने या ना माने
आँखें कहना गलत ही होगा हैं तो ये पैमाने
पूरा बखान करते करते तो बीत जायेंगे ज़माने
गलती हो तो माफ़ करना नहीं ए थे तुझे सताने
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