
जब न होंगे वन्यजीव और ना ही वर्षावन
जब न होगी स्नेह भावना और न ही अपनापन
तब समझ लेना की आ गया developmental saturation
तब भारत होगा नकली अमरीका और हम नकली अमरीकन
न होगी प्राचीन धरोहर और न ही पारंपरिक वसन
रोटी चावल खायेंगे कुत्ते पिज्जा बर्गेर इंसानी भोजन
एक त्रण भी नहीं दिखेगी देखो चाहे १००-२ योजन
कर्क रोग और एड्स से काप उठेगा सबका मन
शीतकाल में भी होगी तब असहनीय अस्वाभाविक तपन
है समय नहीं अब और प्यारे बचा लो अपना ये चमन
कर कर खूब वृक्षारोपण पुनः बसा लो अपना गुलशन
वर्ना विलुप्त हो जायेगा समस्त धरा का सुलभ भूषण
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