मंगलवार, 3 अगस्त 2010

बेटी के आगमन की ख़ुशी


मैं एक भारतीय नारी हूँ
करती परिश्रम उम्र साड़ी हूँ
सुनाती हूँ तुमको एक कहानी
मतलब आपबीती खुद अपनी जुबानी
बचपन मेरा दुलार में बीता
बीती जवानी समस्याओं के भार में
पर कभी कमी आने न पाई मां बाप के दुलार में
फिर विवाह की पावन घडी आई
संग नए रिश्ते नए-२ भार लायी
धीरे-२ जीवन चक्र आगे बढ़ा
परिवार में स्नेह परवान चढ़ा
पर एक चीज की हम सब को चाहत थी
वो चाहत नन्ही कलि की चन्ह्चाहट थी
मंदिर गयी पगोडा गयी और गयी तीरथ सारे
उनके रूहानी असर से मासूम दस्तक आई मेरे द्वारे
उसकी चंचल भगवान् सी पवित्र हसीं से पूरा हुआ अधूरापन
और उसकी शरारतों से पाया मैंने फिर से बचपन
मेरी पारी मेरे घर की खुशियों का पिटारा है
और वो तो पूरे मोहल्ले की आँखों का सितारा है
मुझे बेटी की माँ होने पर गर्वे है
आगमन पश्चात उसके हर दिन मेरा पर्व है


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