मंगलवार, 3 अगस्त 2010

खतरे में है धरती माँ


ख़त्म हो रहा है जंगल
सुनिश्चित है अब अमंगल
काट के वनों को कहाँ जाओगे
विनाश के मुंह में ही आओगे
मनुष्य अब सुधर भी जाओ
वृक्षारोपण करो कराओ
करो पर्यावरण की रक्षा
वर्ना देनी होगी कठिन परीक्षा
नए नए अभ्यारण्य बनाओ
पाश्चात्य को अपना कर्त्तव्य दिखाओ
वरना अंत सुनिश्चित है
तुंहारा भी और मेरा भी

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